Rajasthan Diwas 2024: राजाओं की धरती का जश्न

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Rajasthan Diwas 2024: भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान 30 मार्च को अपना राज्य दिवस हर्षोल्लास के साथ राजस्थान दिवस मनाया जाता है। 30 मार्च को राजस्थान अपने गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक समृद्धि के रूप में मनाया जाता है ।

Rajasthan Diwas: राजस्थान का गठन

कई रियासतों का एक समूह जिसे हम आज राजस्थान के नाम से जानते हैं उसे पहले राजपुताना के नाम से जाना जाता था राजपूताना मैं राजपूतों का शासन था साथ ही इस धरती को शुरू से राजपूतो के साथ कई अनेक जातियों ने सिंचा हे। हालाँकि 1947 में भारत की आजादी के बाद, के बाद इन रियासतों को एकजुट रखना और एक मज़बूत राज्य के निर्माण की आवश्यकता थी

इसी कारण भारत के महान नेता स्वर्गीय सरदार वल्लभ भाई पटेल को इसकी ज़िम्मेदारी मिली उन्होंने अपनी कूटनीतिक कौशल और दूरदर्शिता के साथ सभी राज्यों के राजाओं के साथ बात करके राजस्थान को एक पूर्ण राज्य बनाया जाए जिसे बहुत समय के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल की सूझ-बूझ से इन सभी रियासत को 30 मार्च को दिन जोधपुर जैसलमेर बीकानेर और जयपुर रियासतों को साथ विलय करके ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ का गठन हुआ इसी के बाद से हर साल वे 30 मार्च को राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है इसके बाद 1 नवंबर 1956 को सभी छोटी बड़ी रियासतें को मिलाकर राजस्थान का वर्तमान स्वरूप अस्तित्व में आया।

Rajasthan Diwas

Rajasthan Diwas समारोह

30 मार्च को राजस्थान दिवस राजस्थान में खुब उत्साह के साथ मनाया जाता है। 30 मार्च को राजस्थान की राजधानी जयपुर में राजस्थान सरकार के द्वारा भव्य सरकारी कार्यक्रम आयोजित कराए जाते हैं इन भव्य कार्यक्रम में मुख्यमंत्री गणमान्य व्यक्तियों द्वारा ध्वजारोहण किया जाता है।

राजस्थान दिवस के उपलक्ष उपलक्ष्य पर राजस्थान में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में राजस्थान के संगीत प्रदर्शनों के साथ साथ समृद्ध संस्कृति का प्रदर्शन किया जाता है वहीं साथ साथ पुलिस सेना और स्कूल के बच्चों के द्वारा परेड का आयोजन किया जाता है।

राजस्थान राज्य के शहरों और गांवों में भी ध्वजारोहण का कार्यक्रम साथ ही अलग अलग खेल प्रतियोगिता आयोजित कराई जाती है

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राजस्थान की कुशल विरासत

30 मार्च को बनाए जाने वाला राजस्थान दिवस ना केवल एक राजनीतिक अवसर नहीं है बल्कि यह राजस्थान के कुशल विरासत को संजोकर रखने वाला दिवस है यह प्रमाणित कराता है राजस्थान कि  सांप्रदायिक संस्कृति और मरूधरा की खून से सजी इस धरती को राजस्थान के विभिन्न जातियों और समुदायों संजोकर रखा है

अपनी अनूठी परंपरा और रीति रिवाज़ को बचाकर रखा है इस राजस्थान के क़िले महल और हवेलियाँ अपने शानदार आर्किटेक्चर को दर्शाते हैं और आज भी याद दिलाते हैं इस धरती की कुशल विरासत को यहाँ के ऐतिहासिक क़िले और स्मारक आज भी राजा रानियों के ऐतिहासिक जीवन की कहानियाँ सुनाते हैं। इसकी संस्कृति आज भी इसकी वीरता का बखान करती है और आने वाली पीढ़ी को याद दिलाती है इसमें मरूधरा की विरासत को।

राजस्थान के लोक नृत्य फ़्री आज भी इसकी पुरानी संस्कृति को उजागर करते हैं और साथ ही साथ यहाँ के लोक संगीत अपनी कुशलता का प्रमाण करता है यहाँ के लोग लोक संगीत में वीणा, सारंगी और ढोलक जैसे वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।

Rajasthan Diwas

राजस्थान के लोक नृत्य गुड वर्क फ़्रॉम घूमर, कालबेलिया और भांगड़ा भी जैसे आज भी अपनी विरासत से लोगों को अपनी ऐतिहासिक कहानियों का नृत्य बखान करते हैं

राजस्थान के व्यंजनों में आज भी दाल बाटी चूरमा लाप्सी जैसी स्वादिष्ट डिशेज शामिल हैं। राजस्थान में आज भी मसालों का भरपूर इस्तेमाल होता है साथ ही साथ घी और मेवा की ख़ुशबू राजस्थान के व्यंजनों मैं आपको देखने मिल जाएगी और यही इसको ख़ास बनाती है

Rajasthan Diwas पर्यटन को बढ़ावा देती हुई विरासत की कुशलता

राजस्थान दिवस ना केवल एक राजनीतिक कार्यक्रम है बल्कि ये लोगों को राजस्थान दिखाने का एक अनूठा मौक़ा है राजस्थान अपनी वास्तु कला संस्कृति के लिए मंदिर हवेलियाँ भर के लिए बाहर मशहूर है राजस्थान इस दिन अपनी रंगारंग सांस्कृतिक कि विरासत और अपने पधारो म्हारे देश बाली बात को फ़्री सच कर दिखा सकती है

इस दिन होने वाले कार्यक्रम के द्वारा राजस्थान की संस्कृति को बाहर के बसे लोगों तक पहुंचाया जा सकता है और पर्यटकों को राजस्थान देखने के लिए एक मौक़ा दिया जा सकता है जिसमें बाहर के लोगों के लिए राजस्थान के लोक नृत्यों सांस्कृतिक कार्यक्रमों को दिखाया जा सकता है। यहाँ की महल हवेलियाँ पुरानी विरासत को लोगों तक पहुंचाया जा सकता है कि राजस्थान दिवस के दिन सरकार को पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेष पैकेज और छूट भी पेश की जाती हैं।

Rajasthan Diwas

राजस्थान दिवस न केवल फ़्री अतीत का जश्न है बल्कि यह प्लेट सुनहरे भविष्य को भी दर्शाता है यहाँ आज भी अपनी संस्कृति के लिए प्रतिबद्ध है और आधुनिक विकास की ओर भी जा रहा है आज राजस्थान में पर्यटन की तरफ़ देखा जाए लॉग हरियाली के साथ ही जैसलमेर के दोनों को देखने के लिए भी यह सब मिल के धोरों यह देखने के लिए भी अति उत्साहित रहते हैं

ये राजस्थान है जो अपनी विरासत को संजोकर रख रखा है और लोगों को दर्शा रहा है अपने घर की कथा और उसी के साथ अपने भविष्य की ओर बढ़ता जा रहा है राजस्थान में आज भी अपने अपने शहरों को अलग अलग नाम से प्रमाणित करता है जैसे की जयपुर जिसे हम सब गुलाबी नगरी से भी जानते हैं दूसरे नंबर पे आता जोधपुर जिसे हम सब ब्लू सिटी के नाम से भी जानते हैं जैसलमेर जिसे हम गोल्डन सिटी के नाम से भी जानते है हर दिल अज़ीज़ उदयपुर जिसे हम लेक सिटी के नाम से जानते हैं राजस्थान ने  हरियाली के साथ साथ लोगों को अपने धोरों का दीवाना बना रखा है 

इसी के साथ अंत में हमारी तरफ़ से राजस्थान दिवस री था सगळा हेतलुवा नै मोकली मोकली सुभकामनांवा सां

राजस्थान दिवस का बनाया जाता है

राजस्थान दिवस 30 मार्च को बनाया जाता है

राजस्थान का वर्तमान स्वरूप अस्तित्व में कब आया था

राजस्थान का वर्तमान स्वरूप अस्तित्व 1 नवंबर 1956 को आया था

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